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पुरस्कार योजना

*पुरस्कार योजना 2023 अंतिम तिथि 20 फरवरी 2024

*ऑनलाइन पुरस्कार योजना 2023 आवेदन फार्म

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उत्तर प्रदेश हिन्दुस्तानी एकेडेमी, प्रयागराज की पुरस्कार नियमावली 2018

(यथा संशोधित)

(1) यह नियमावली उत्तर प्रदेश हिन्दुस्तानी एकेडेमी पुरस्कार नियमावली 2018 कहलायेगी।

(2) यह नियमावली तुरन्त  प्रभावी होगी।

(3) यह नियमावली राष्ट्रभाषा हिन्दी, उसके साहित्य तथा ऐसे अन्य रूपों और शैलियों जैसे- उर्दू, अवधी, ब्रजभाषा, भोजपुरी, बुन्देली के उत्कृष्ट और स्तरीय साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने तथा दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए साहित्यकारों को पुरस्कृत एवं सम्मानित करने की योजना के सम्बन्ध में लागू होगी।

(4) हिन्दुस्तानी एकेडेमी द्वारा प्रतिवर्ष अच्छे और स्तरीय लेखकों को प्रोत्साहित करने, दीर्घकालीन साहित्यिक योगदान एवं साहित्य सेवा के लिए साहित्यिक विधाओं/विषयों पर, आवश्यकतानुसार वित्तीय संसाधनों के आधार पर पुरस्कार दिये जायेंगे।

पुस्तक आधारित पुरस्कार (राज्यस्तरीय)

(5) पुरस्कार योजना के अन्तर्गत प्रतिवर्ष प्रकाशित पुस्तकों की प्रविष्टियाँ विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशित कर निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत आमंत्रित की जायेगी। संस्तुति/आवदेन एक निर्धारित प्रपत्र पर प्राप्त किये जायेंगे।

(6) कार्यसमिति पुरस्कार की प्रत्येक विधा के लिए योग्य विद्वानों/विशेषज्ञों/समीक्षकों की सूची का निर्धारण/चयन करेगी।

(7) पुरस्कार की प्रत्येक विधा में प्राप्त प्रविष्टियों/पुस्तकों के लिए तीन समीक्षकों का चयन किया जायेगा।

(8) मौलिक/प्रकाशित/पुस्तकाकार रचना ही पुरस्कार के योग्य मानी जायेगी। अनुवादित कृति (अनुवादित साहित्य विधा को छोड़कर) विश्वविद्यालय या अन्य परीक्षा की उपाधि के लिए तैयार किया गया ग्रन्थ/प्रबन्ध या शोध कार्य पुरस्कार के लिए मान्य नहीं होगा।

(9) पुस्तक का प्रथम संस्करण ही पुरस्कार के लिए विचारणीय होगा। पूर्व प्रकाशित पुस्तक के संशोधित संस्करणों के पुस्तक के रूप में प्रकाशित संग्रह उसी रूप में पुरस्कार के लिए विचारणीय होंगे, यदि उनकी 60 प्रतिशत सामग्री पूर्णतः नवीन हो। इसका उचित परीक्षण/जाँच चयन समिति द्वारा किया जायेगा।

(10) विभिन्न खण्डों में विभाजित कृति का अपूर्ण खण्ड पुरस्कार के लिए मान्य नहीं होगा। वर्ष विशेष में सभी खण्ड मुद्रित होने चाहिए।

(11) ऐसी कृति, जिसे पहले हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद से कोई पुरस्कार मिल चुका हो, पुरस्कार योग्य नहीं मानी जायेगी।

(12) हिन्दुस्तानी एकेडेमी की परिषद एवं कार्यसमिति के वर्तमान पदाधिकारीगण, अधिकारीगण/कर्मचारीगण के नाम एकेडेमी पुरस्कारों/सम्मानों के लिए विचारणीय नहीं होंगे। समस्त विधाओं में किसी रचनाकार को दो से अधिक बार पुरस्कृत नहीं किया जायेगा।

(13) पुस्तकों हेतु प्राप्त प्रविष्टियों में से प्रत्येक समीक्षक 100 पूर्णांक के आधार पर मूल्यांकन कर अंक प्रदान करेंगे। इसके पश्चात् तीनों समीक्षकों द्वारा प्रदत्त अंको को जोड़कर कुल योग पर विचार-विमर्श के उपरान्त प्राप्तांक के आधार पर पुरस्कार समिति द्वारा निर्णय लिया जायेगा।

(14) पुरस्कार प्रविष्टि के लिए प्रत्येक पुस्तक की चार प्रतियाँ अपेक्षित होंगी। योजना में प्राप्त पुस्तकें लेखक/प्रकाशक को वापस नहीं की जायेंगी। पुरस्कार हेतु प्रेषित पुस्तक की पृष्ठ संख्या कम से कम 80 पृष्ठ होनी अनिवार्य है।

(15) उत्तर प्रदेश में जन्में अथवा विगत दस वर्ष से उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले रचनाकार ही पुरस्कार के योग्य माने जायेंगे।

(16) पुस्तक की प्रत्येक प्रति पर लेखकों को निम्नलिखित प्रारूप में प्रमाण-पत्र देना होगा। अपेक्षित प्रमाण पत्र रहित कृति/पुस्तक पुरस्कार के लिए विचारणीय नहीं मानी जायेगी:-

पुस्तक पर आधारित सम्मान के लिये आवेदन-पत्र का प्रारूप

1. पुस्तक का नाम: ..................................................

2. लेखक का नाम:....................................

3. लेखक की उम्र:.....................................................................(केवल युवा लेखन पुरस्कार हेतु)

4. जन्म स्थान:...........................................................................

5. लेखक का पता:......................................

6. उत्तर प्रदेश में जन्म लेने या उ0प्र0 में पिछले दस वर्ष से लगातार रहने का प्रमाण-पत्र (संलग्न है/संलग्न नहीं है) .................................

7. पुस्तक की विधा:........................................

8. पुस्तक की विधा:...........................................

9. प्रकाशन वर्ष:..............................................................................

(प्रत्येक पुस्तक में प्रथम संस्करण के प्रकाशन का वर्ष मुद्रित होना अनिवार्य होगा।)

10. प्रकाशक का नाम और पता:............................................................................................................

...............................................

(1) मै प्रमाणित करता/करती हूँ कि मेरे द्वारा रचित .................................................शीर्षक पुस्तक का प्रथम संस्करण प्रथम बार सन् .......................... में प्रकाशित हुआ है।

(2) सम्बन्धित पुस्तक का 60 प्रतिशत या उससे अधिक भाग पुस्तक के रूप में इससे पूर्व प्रकाशित नहीं हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक शोध प्रबन्ध नहीं है एवं न ही पाठ्य पुस्तक है।

 

                                       लेखक के हस्ताक्षर:.............................

दिनांक:.................................      पूरा पता: ....................................................................

 .....................................................................................................................................

(17) हिन्दुस्तानी एकेडेमी का शिखर सम्मान ‘गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्मान’ कहलायेगा। यह सम्मान अखिल भारतीय स्तर का होगा। इसके लिए आदिकालीन हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले रचनाकार/साहित्यकार को किसी विद्वान साहित्यकार से निर्धारित संस्तुति प्रपत्र पर संस्तुति करानी होगी।         

 

शिखर सम्मान गुरु गोरक्षनाथ, गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीरदास का

संस्तुति-प्रपत्र

1. साहित्यकार  का नाम :.................................................................

2. जन्म तिथि :.......................................................

3. जन्म स्थान :.........................................................

4. प्रकाशित साहित्य:....................................................

5. पूर्व में प्राप्त पुरस्कार/सम्मान आदि का विवरण :......................................................

6. अन्य साहित्यिक उपलब्धियाँ:...................................................

7. साहित्यकार का सम्पर्क सूत्र (दूरभाष/मोबाइल सहित):......................................................

8. संस्तुतिकर्ता का स्पष्ट नाम व पता दूरभाष/मोबाइल सहित :..................................................

 ..................................................................................................................................................................             

                                                          (संस्तुतिकर्ता के हस्ताक्षर)

नोट: एक संस्तुति प्रपत्र पर किसी एक साहित्यकार के नाम की संस्तुति ही मान्य होगी।

(18) हिन्दुस्तानी एकेडेमी के पुरस्कारों/सम्मानों का विवरण निम्नवत है -

राष्ट्रीय स्तर के शिखर सम्मान -

(1) गुरु गोरक्षनाथ सम्मान - यह शिखर सम्मान आदिकालीन हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले साहित्यकार को प्रदान किया जायेगा। यह सम्मान अखिल भारतीय स्तर का होगा। इस सम्मान की धनराशि रु0 5,00,000/- (रुपये पाँच लाख मात्र) निर्धारित है।

(2) गोस्वामी तुलसीदास सम्मान - भक्तिकाल हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग है तथा गोस्वामी तुलसीदास उसके सुमेरु हैं। यह सम्मान अखिल भारतीय स्तर का होगा। जो भक्तिकाल पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले को प्रदान किया जायेगा। इस सम्मान की राशि शासन से उच्चीकृत होकर रु0 5,00,000/- (रुपये पाँच लाख मात्र) की निर्धारित की गयी है।

(3) संत कबीर सम्मान - निर्गुण भक्ति धारा में संत कबीर महान व्यक्तित्व लेकर उत्पन्न हुए थे। जाति वर्ग एवं सम्प्रदाय की सीमा से ऊपर उठकर मानवीय संवेदना के धरातल पर कबीरदास ने साहस के साथ अपनी बात कही। ईश्वर में अखण्ड विश्वास रखते हुए समरसता एवं प्रेम द्वारा वह ऐसे समाज की रचना करना चाहते हैं जहाँ सभी बराबर हों। संघर्ष पूर्ण काल खण्ड में भी उन्होंने भक्त और भगवान के बीच जिस संवाद की स्थापना किया था वह बेमिसाल है। यह सम्मान उनके इन्हीं विचारों पर केन्द्रित हैं। उनके विचारों से सम्बंधित स्तरीय एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले को यह सम्मान अखिल भारतीय स्तर का होगा। इस सम्मान की धनराशि 4,00,000/- (रुपये चार लाख मात्र) निर्धारित की गयी है।

प्रादेशिक स्तर के सम्मान -

(4) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सम्मान - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हिन्दी साहित्य में आधुनिक चेतना के अग्रदूत रहे हैं। इनकी प्रेरणा से नाट्य साहित्य का हिन्दी में न सिर्फ प्रादुर्भाव हुआ बल्कि राष्ट्रीय जागरण का सूत्रपात एवं सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार भी किया गया। हिन्दी नाट्य साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट सृजन हेतु यह सम्मान प्रदान किया जायेगा। जिसकी धनराशि रु0 2,00,000/- (रुपये दो लाख मात्र) निर्धारित है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा ।

(5) महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान - हिन्दी में नवजागरण के उन्नायक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने खड़ी बोली का परिष्कार कर एक मानक हिन्दी भाषा का रूप निर्धारित किया तथा समकालीन अन्य रचनाकारों को भी साहित्य-सृजन के लिए प्रोत्साहित किया। हिन्दी भाषा एवं आलोचना के क्षेत्र में उत्कृष्ट रचना के लिए यह सम्मान प्रदान किया जायेगा। इस पुरस्कार की धनराशि रु0 2,00,000/- (रुपये दो लाख मात्र) निश्चित की गई है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा।

(6) महादेवी वर्मा सम्मान - राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना की प्रतिमूर्ति एवं नारी स्वाभिमान की प्रतीक महादेवी वर्मा के नाम पर यह सम्मान उस कृति पर प्रदान किया जायेगा जिसमें नारी सम्मान, नारी गौरव के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का समृद्ध रेखांकन किया गया हो। इस सम्मान की धनराशि रु0 1,00,000/- (रुपये एक लाख मात्र) निर्धारित है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा।

(7) फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान - प्रख्यात शायर एवं चिंतक फ़िराक़ गोरखपुरी हिन्दी, उर्दू एवं हिन्दुस्तानी के समन्वय के प्रतीक हैं। यह सम्मान देवनागरी लिपि में लिखित उर्दू भाषा एवं साहित्य के विकास एवं हिन्दुस्तानी चेतना को प्रतिष्ठित करने वाली महत्वपूर्ण कृति पर प्रदान किया जायेगा। इस सम्मान की धनराशि रु0 1,00,000/- (रुपये एक लाख मात्र) निर्धारित है। है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा।

(8) भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान - भिखारी ठाकुर भोजपुरी साहित्य जगत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। आपके ‘बिदेसिया’ नाटक ने आमजन और विद्वत् समाज के बीच अपार लोकप्रियता पायी। भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी में वह स्थान हासिल किया जो हिन्दी में जयशंकर प्रसाद का था। यह सम्मान भोजपुरी साहित्य के मान को बढ़ाने वाले साहित्यकार की किसी महत्वपूर्ण भोजपुरी भाषा में रचित कृति पर प्रदान किया जायेगा। इस सम्मान की धनराशि रु0 1,00,000/- (रूपये एक लाख मात्र) निर्धारित है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा।

(9) बनादास अवधी सम्मान - अवधी काव्य परम्परा में गोस्वामी तुलसीदास के बाद रचना शैली एवं काव्य-सौष्ठव के विचार से बनादास रामभक्ति शाखा के अन्यतम कवि हैं। 1851 ई0 से 1892 ई0 तक विस्तृत कविताकाल में इन्होंने 64 ग्रन्थों की रचना की थी। अवधी भाषा में रचित महत्वपूर्ण कृति पर यह सम्मान प्रदान किया जायेगा। इस सम्मान की धनराशि रु0 1,00,000/- (रूपये एक लाख मात्र) निर्धारित  है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा।

(10) कुम्भनदास ब्रजभाषा सम्मान - अष्टछाप के कवियों में बल्लाभाचार्य से दीक्षा लेने वाले सबसे पहले कवि कुम्भनदास थे। कुम्भनदास ने मधुर भाव की भक्ति में लीन होकर पद रचे। कवित्त की दृष्टि से सूर का अनुकरण करते हुए कुम्भनदास ने श्रीकृष्ण की निकुंज-लीला को अपना माध्यम बनाया और अष्टछाप के कवियों में महत्वपूर्ण स्थान बनाया। ब्रजभाषा में रचित महत्वपूर्ण कृति पर यह सम्मान प्रदान किया जायेगा। इस सम्मान की धनराशि रु0 1,00,000/- (रूपये एक लाख मात्र) निर्धारित है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा।

(11) ईसुरी बुन्देली सम्मान - ईसुरी बुन्देली के अप्रतिम लोक कवि हैं। उनकी कविताओं में लोकजीवन और लोकसंस्कृति सम्पूर्णता के साथ उद्भासित होती है। बुन्देली लोक साहित्य ईसुरी के बिना अधूरा है। बुन्देली भाषा में रचित महत्वपूर्ण कृति पर यह सम्मान प्रदान किया जायेगा। इस सम्मान की धनराशि रु0 1,00,000/- (रूपये एक लाख मात्र) निर्धारित है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा।

(12) हिन्दुस्तानी एकेडेमी युवा लेखन सम्मान - यह सम्मान युवा लेखकों को साहित्य की चार विधाओं कथा साहित्य/कविता/निबन्ध एवं नाटक विधा पर दिया जायेगा। उक्त चारों विधाओं की उत्कृष्ट रचना पर यह सम्मान प्रदान किया जायेगा। युवा रचनाकार की अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए। इस सम्मान की राशि रु0 11,000/- (रूपये ग्यारह हजार मात्र) प्रति विधा के लिए होगी। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के रचनाकारों को प्रदान किया जायेगा।

(19) पुरस्कार हेतु चयन समिति/चयन प्रक्रिया

पुरस्कार/सम्मान के बारे में विचार विमर्श कर अन्तिम निर्णय लेने के लिए हिन्दुस्तानी एकेडेमी की कार्यसमिति द्वारा पुरस्कार समिति गठित की जायेगी जिसमें कम से कम पाँच सदस्य होंगे। कार्यसमिति के अभाव में एकेडेमी के पूर्णकालीन कार्यकारी अध्यक्ष पुरस्कार समिति का गठन करेंगे। पुरस्कार समिति में ख्यातिप्राप्त साहित्यकार एवं स्तरीय विद्वान सम्मिलित होंगे।

(20) पुरस्कार समिति द्वारा निर्णीत एवं चयनित पुरस्कारों की घोषणा अध्यक्ष, हिन्दुस्तानी एकेडेमी, प्रयागराज द्वारा शीघ्रातिशीघ्र कर दी जायेगी।

(21) हिन्दुस्तानी एकेडेमी द्वारा प्रदान किये जाने वाले सम्मानों के संबंध में समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशित कर आवेदन/संस्तुतियाँ प्राप्त की जायेंगी।

(22)  सम्मान प्राप्त करने वाले साहित्यकारों को यथा परम्परा प्रतीक-चिन्ह, प्रमाण-पत्र, पुरस्कार की निर्धारित धनराशि तथा अंगवस्त्र दिया जायेगा।

(23) कार्यसमिति की संस्तुति पर शासन के अनुमोदनोपरान्त भविष्य में पुरस्कारों/सम्मानों की धनराशि और संख्या में वृद्धि की जा सकेगी।

(24) शिखर सम्मान गुरु गोरक्षनाथ, गोस्वामी तुलसीदास सम्मान एवं संत कबीर सम्मान के लिए निर्धारित संस्तुति प्रपत्र के साथ संस्तुतिकर्ता का स्पष्ट नाम व पता दूरभाष सहित होना आवश्क है तथा जिसके नाम की संस्तुति की जा रही है उसका जीवन वृत्त प्रपत्र के साथ संलग्न होना अनिवार्य है। एक संस्तुति प्रपत्र पर किसी एक साहित्यकार के नाम की संस्तुति ही मान्य होगी। निर्धारित तिथि के बाद प्राप्त संस्तुतियों पर विचार नहीं किया जायेगा। प्राप्त संस्तुतियों का मूल्यांकन करने और उनमें श्रेणी निर्धारण करने का अधिकार पुरस्कार समिति का होगा।

(25) वर्ष विशेष में एक साहित्यकार को एक ही सम्मान/पुरस्कार दिया जायेगा।

(26) यदि नियमावली से संबंधित या नियमावली के द्वारा दिये गये सम्मानों/पुरस्कारों से संबंधित कोई भी किसी भी प्रकार के वाद-विवाद की स्थिति बनती है तो इनका न्यायिक क्षेत्र सिर्फ और सिर्फ माननीय न्यायालय, प्रयागराज के क्षेत्राधिकार के अधीन होगा।

 

 

 

 

स्थल निर्देशिका

सूचना पटल


हिन्दुस्तानी ऐकेड़मी, प्रयागराज

अप्रैल, 1926 में स्व. हाफिज हिदायत हुसैन ने प्रान्तीय धारा सभा में एक और प्रस्ताव रखा जिसमें हिन्दी और उर्दू साहित्य की अभिवृद्धि के उद्देश्य से शासन से ‘हिन्दुस्तानी एकेडेमी’ नाम की एक संस्था की स्थापना के लिए कहा गया।

कार्य दिवस :-

सोमवार से शनिवार

सार्वजनिक कार्य का समय :- 10.00 am से 5.00 pm


संपर्क विवरण

12 डी. कमला नेहरु मार्ग, सिविल लाइन्स, प्रयागराज

दूरभाष नं0-0532407625,

ईमेल-hindustaniacademyup@gmail.com